Earthquakes in Vedas


The Vedic divinities Indra, Agni, Maruts, Vāyu, Varuna, Dyāvāprthvī and Āpah exhibit geophysicial phenomena, describing the origin and evolution of the Universe as well as Earth. Our Vedas describe the shaking of mountains i.e. they describe Earthquakes. Let us discuss the Vedic verses which describes Earthquakes.

RigVeda 1.63.1
त्व महां इंद्र यो ह शुष्मैर्द्यावा जज्ञान∶ पृथिवी अमे धा∶ I 
यद्ध ते विश्वा गिरयश्चिदभ्या भिया दृह्वासः किरणा नैजन् II 
हे महान इन्द्र !  तूने उत्पन्न होते ही अपने बल से पृथ्वी और आकाश को धारण किया  तेरे भय से दृढ़ पर्वत भी कंपित हो जाते है୲   

RigVeda 1.80.14
अभिष्टने ते अद्रिवो यत् स्था जगच्च रेजते I
त्वष्टा चित् तव मन्यव इंद्र वेविज्यते भियार्चन्ननु स्वराज्यम् II 
संसार के सभी स्थावर तथा जंगम को कंपा देने हे वज्रधारी इंद्र !  तेरे क्रोध के आगे त्वष्टादेव भी प्रकंपित हो जाता है अपने सामर्थ्य के अनुकूल तू अपने कर्त्तव्य को प्रकाशित करता है ୲ 


RigVeda 2.12.2
य∶ पृथिवीं व्यथमानामदृंहद् य∶ पर्वतान् प्रकुपितां अरम्णात् I
यो अंतरिक्षं विममे वरीयो यो द्यामस्तभ्नात् स जनास इन्द्र∶ II 
भूकम्पों से कांपती हुई उस पृथ्वी को हे मनुष्यो ! इन्द्र ने दृढ़ आधार प्रदान किया तथा आग उगलते पर्वतों को स्थिर किया; वृहद् आकाश को मापा और अंतरिक्ष को धारण किया    
It says,"He who fixed fast and firm the earth that strengthened and set at rest the agitated mountains, who measured out the air's wide middle region and gave the heaven support support. He, man is, Indra.                               

Lord Indra is attributed as physical force. The first attribute of Indra is causing rain and the second attribute is causing earthquake and the third is fixing the Earth firmly on its path of motion.